जानें क्या है OIS ? फोटोग्राफी को कैसे बनाता है शानदार

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मोबाइल टेक्नोलॉजी की बात होती है तो आपको हर रोज यहां कुछ नए शब्द सुनने को मिलते हैं। खास कर कैमरा टेक्नोलॉजी की बात हो तो फिर कहना ही नहीं है। इसमें इतने इनोवेशन हैं और इतने नए तकनीकी शब्द आ चुके हैं कि लोग इन्हें सुनकर अक्सर कंफ्यूज हो जाते हैं। मेगापिक्सल, सेंसर, अपर्चर, शटर स्पीड, वाइड एंगल, मैक्रो, नाइट मोड स्लो मोशन, डुअल व्यू और न जाने कितने ही वर्ड हैं। परंतु हाल के दिनों में यदि कोई शब्द सबसे ज्यादा सुनने को मिल रहा है तो वह है OIS और Image Stabilisation (इमेज स्टेबलाइजेशन)। परंतु आप जानते हैं OIS क्या है? या फिर ये ओआईएस काम कैसे करता है? नहीं! तो चलिए संक्षिप्त में ही सही लेकिन आपको गहरी जानकारी देते हैं।

क्या है OIS?

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फोटोग्राफी करते वक्त जरा सा हाथ हिला नहीं कि इमेज खराब हो जाती है। अगर साधारण टेक्निकल भाषा में कहें तो ब्लर हो जाती है। और मोबाइल फोटोग्राफी जहां पर फोन को हाथ में लेकर ही पिक्चर क्लिक करते हैं तो यह शिकायत सबसे ज्यादा होती है। ट्राई पॉड के मुकाबले हाथ ज्यादा हिल ही जाता है। रात में या जूम का उपयोग करने पर यह समस्या और बढ़ जाती है। ऐसे में OIS एक ऐसी तकनीक है जो हाथ को हिलने पर भी साफ व स्पष्ट इमेज व वीडियो बनाने में आपकी मदद करता है। यह स्टेबलाइजेशन यानी कि स्थिरता बनाए रखता है।

अब आते हैं ओआईएस तकनीक पे तो बात दूं कि OIS का आशय है ऑप्टिकल इमेज स्टेबलाइजेशन (Optical Image Stabilisation)। हार्डवेयर आधारित यह कैमरे की एक ऐसी तकनीक है जो अनचाहे रूप से कैमरे को हिलने पर फिजिकली मूव कर उस मुवमेंट को अडजस्ट करने में मदद करता है। आपको यही लग रहा होगा कि क्या वास्तव में कैमरा मूव करता है। जी हां! OIS में कैमरे में इस तरह का फंक्शन होता है कि वह किसी हल्के फुल्के झटके को मूव कर अडजस्ट कर देता है।

OIS फोटोग्राफी को कैसे बनाता है शानदार

इसका सबसे ज्यादा फायदा आपको रात के दौरान देखने को मिलेगा। जैसा कि आप जानते हैं कि कैमरा रोशनी से फोटो बनाता है। रात के दौरान रोशनी कम होती है और पिक्चर क्लिक करने पर रोशनी कैप्चर करने में थोड़ा समय लग जाता है और परंतु इतनी देर में हाथ हिल जाता है। ऐसे में OIS हाथ के इस मुवमेंट को अडजस्ट कर आपको बेहतर रिजल्ट देने में मदद करता है।

OIS में एक छोटा जायरोस्कोप होता है जो हाथ के मूवमेंट को डिटेक्ट कर उल्टी दिशा में कैमरे को ले जाता है। इसमें एक एक्टूवेटर्स यानि मोटर लगा होता है जो रियल टाइम पर हाथ के मूवमेंट को डिटक्ट करता है और उसी के अनुसार कैमरे को अडजस्ट करता है। यदि आपका हाथ गलती से नीचे हो तो कैमरा ऊपर ही सब्जेक्ट पर रहेगा और यदि हाथ दाएं जाये तो कैमरा बाएं मूव करेगा। इस तरह OIS आपको इमेज व वीडियो को काफी स्टेबल बना देता है।

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ओआईएस की कैपेबिलिटी प्लस/माईनस के माध्यम से मापी जाती है। उदाहरण के लिए कोई ओआईएस 17 डिग्री या 20 डिग्री +/— स्टेबलाइजेशन को अडजस्ट कर सकता है। फोन के अनुसार उसकी क्षमता अलग होती है। परंतु इतना जरूर कहा जा सकता है कि OIS छोटे मोटे मूवमेंट को ही अडजस्ट करता है हैवी को नहीं।

OIS और EIS में क्या है अंतर?

जैसा कि मैंने बताया कि OIS का आशय है Optical Image Stabilisation जो कि एक हार्डवेयर बेस्ड तकनीक है। फोन में ओआईएस के लिए अलग से कम्पोनेंट्स लगे होते हैं जो इमेज व वीडियो को स्टेबल करते हैं।

वहीं EIS का आशय है electronic image stabilisation जो कि सॉफ्टवेयर आधारित तकनीक है। फोन कंपनियां किसी हार्डवेयर के मदद से नहीं बल्कि सॉफ्टवेयर की मदद से पिक्चर को स्टेबल करने की कोशिश करती हैं।

इन दोनों की यदि तुल्ना की जाए तो OIS को बेस्ट माना जाता है। यदि वजह है कि आज-कल इस तकनीक की चर्चा फोटोग्राफी के दौरान ज्यादा होती है। यहां क्लिक कर आप OIS आधारित कैमरा फोन की लिस्ट देख सकते हैं।

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