5G Spectrum Auction टेलीकॉम कंपनियों के लिए पूरा हो चुका है जिसमें Reliance Jio, Airtel और Vi ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। ये तीनों ही ऑपरेटर कई 5जी स्पेक्ट्रम हासिल करने में कामयाब हुए हैं जिसके लिए इन्होंने लाखों रुपये की रकम भी चुकाई है। 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में रिलायंस जिओ का नाम टॉप पर आया है क्योंकि इसी कंपनी ने सबसे ज्यादा 24,740 MHz स्पेक्ट्रम का अधिग्रहण किया है जिसके लिए 88,078 करोड़ रुपये की मोटी रकम चुकाई है। अंधा पैसा बहाने के बाद बात निकलकर आ रही है कि क्या 5G Spectrum खरीदने के लिए ही कंपनियों ने Mobile Recharge Plans महंगे किए थे?
कितने महंगे स्पेक्ट्रम
रिपोर्ट के अनुसार 5जी एयरवेव्स की नीलामी से सरकार को 1,50,173 करोड़ यानी 1.5 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई है। रिलायंस जिओ, एयरटेल और वीआई तीनों कंपनियों में सबसे पहले 5जी सर्विस रोलआउट करने की होड़ मची है तथा स्पेक्ट्रम पाने के लिए Jio ने 88,078 करोड़ रुपये, Airtel ने 43,084 करोड़ रुपये तथा Vi ने 18,784 करोड़ रुपये की रकम चुकाई है।
स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए बढ़ाए रिचार्ज प्लान के दाम ?
एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इंडियन टेलीकॉम कंपनियां अपनी इनकम का तकरीबन 32 प्रतिशत हिस्सा अकेले स्पेक्ट्रम को खरीदने और उसके रखरखाव में खर्च कर देती है। यानी ये स्पेक्ट्रम दूरसंचार कंपनियों के लिए ‘हाथी पालने’ से कम नहीं हैं। वहीं अब हुई 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में इन कंपनियों को उम्मीद से अधिक बिड लगानी पड़ी है तथा स्पेक्ट्रम को महंगे दामों पर खरीदना पड़ा है। बता दें कि इंडिया में नीलाम हुए High Band 5G Spectrum की न्यूनतम कीमत 492 करोड़ रुपये रखने की सिफारिश TRAI द्वारा की गई थी जो बाकी दुनिया की तुलना में कई गुणा अधिक है।
गौरतलब है कि COAI यानी सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया पहले ही इन स्पेक्ट्रम्स के प्राइस पर आब्जेक्शन उठा चुकी है। सीओएआई ने उस वक्त साफ कह दिया था कि ये दाम अन्य देशों की तुलना में काफी ज्यादा है। अगर सिर्फ हाई बैंड ही की बात करें तो ब्रिटेन में 3.6-3.8 गीगाहर्ट्ज 5जी स्पेक्ट्रम की न्यूनतम कीमत 40.03 करोड़ रुपए रखी गई थी। इसी तरह हांगकांग में 3.5 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम 3.87 करोड़ रुपए और पुर्तगाल में 3.6 गीगाहर्ट्ज 5जी स्पेक्ट्रम सिर्फ 1.07 करोड़ रुपए प्रति मेगाहर्ट्ज़ में नीलाम हुए थे।
अब Jio, Airtel और Vi द्वारा 5G spectrum लिए जाने की बाद मोबाइल यूजर्स के बीच यही खुसफुसाहट है कि इन कंपनियों ने तकरीबन 6 महीने पहले अपने मोबाइल रिचार्ज प्लान्स को इसीलिए महंगा कर दिया था, ताकि स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए अतिरिक्त पैसे जोड़े जा सकें। हालांकि हम यह भी साफ कर देना चाहते हैं कि सरकार की ओर से कंपनियों को स्पेक्ट्रम का पैसा चुकाने के लिए 20 साल तक का समय भी दिया जा रहा है और इस दौरान से कंपनियां हर साल किश्तों में पैसा चुकाएगी।