PUBG, FreeFire, BGMI, Candy Crush, Ludo King और Call of Duty कुछ ऐसे नाम है जिन्हें आपने जरूर सुना होगा। बेशक आप ये गेम्स खेलते भी ना हो, लेकिन इनकी जानकारी आपको जरूर होगी। आपके घर-परिवार या रिश्तेदारी में कोई न कोई ऐसा शख्स जरूर होगा जो इन्हें या इन जैसे अन्य मोबाइल गेम्स को खेलता होगा। Online Gaming का बाजार इंडिया में तेजी से अपने पैर पसार रहा है और अनेंको किशोरों तथा युवाओं को अपनी चपेट में ले रहा है। गेम डेवलेपर्स तथा कंपनियां तो मुनाफे से जमकर पैसा कूट रही है लेकिन अंजाने में ही सही देश के ढेरों बच्चे ऑनलाइन गेमिंग की लत में लपेटे जा रहे हैं। इन दिनों गेमिंग इंडस्ट्री अपने चमकदार सुनहरे दौर से गुज़र रही है लेकिन इनकी काली छाया अनगिनत मासूमों को अंधेरे गड्ढे में भी धकेल रही है।
Online Gaming Industry को लेकर कुछ समय पहले ही एक चौंकाने वाली खबर सामने आई थी कि इंडिया में ऑनलाईन गेमिंग का बाजार साल 2025 तक 7 बिलियन डॉलर यानी तकरीबन 53 हजार करोड़ रुपये का हो जाएगा। रेडसीर वेबसाइट की इस रिपोर्ट में बताया गया था कि 2020 में भारत में ऑनलाइन गेम्स का बाजार 2.2 बिलियन डॉलर यानी 16,500 करोड़ रुपये के करीब था जो अब तीन साल बाद यानी साल 2025 तक 7 बिलियन डॉलर अर्थात् तकरीबन 52,500 करोड़ रुपये तक पहुॅंच जाएगा।
इस लेख में:
क्यों बुरी है ऑनलाईन गेमिंग
अगर आपको थोड़ी बहुत भी कन्फ्यूज़न है कि हम यहां गेमिंग की बजाय ऑनलाईन गेमिंग क्यों लिख रहे हैं तो साफ कर दें कि आम तौर पर जहां गेम्स को जब मन किया तब रोका यानी पॉज किया जा सकता है लेकिन ऑनलाईन गेमिंग में ऐसा नहीं है। ये गेम रियल टाईम प्रोसेस करते हैं जहां दुनिया भर के लोग एक ही वक्त पर एक ही प्लेटफॉर्म पर जुड़ते हैं। अगर कोई एक व्यक्ति अपना गेम बीच में रोकता या बंद करता है तो वह पूरा गेम बैकग्राउंड में रन होता रहता है। Online Gaming की यही सबसे बड़ी समस्या है कि जब कोई इसे खेलता है तो उस दौरान किसी भी अन्य गतिविधि पर गौर नहीं करता है तथा पूरा-पूरा ध्यान गेम में ही रहता है। यह भी पढ़ें : अगर आपके घर के आस-पास भी लगा है कोई मोबाइल टॉवर तो जरूर पढ़ें यह खबर!
Online Gaming के दुष्प्रभाव
इस रियल टाईम गेमिंग में पीछे छूट जाने का डर ही सबसे बड़ा कारण कि अधिकांश बच्चे गेम खेलने के दौरान हादसों का शिकार होते हैं। गेम खेलने के दौरान घर में अगर कोई काम आ जाए तो इन भोले गेमर्स को वह गवारा नहीं होती तथा यह परिवार में कलेश का कारण बनती है। ADR यानी एड्रेनालाईन रश गेम खेलने के दौरान चरम पर होता है और ऐसे में यदि कोई शख्स गेम में खलल पैदा कर दें तो बच्चें झल्ला उठते हैं जो उनके व्यक्तित्व के लिए बेहद ज्यादा हानिकारक है। कई बार तो गेम खेलने से रोके जाने के ये बच्चें हिंसक व्यावहार भी अपना लेते हैं। बहुत से ऐसे किशोर भी देखने को मिलते हैं जो गेम में अपनी हार बर्दाशत नहीं कर पाते दिमागी तौर पर निराश हो जाते हैं।
ऑनलाईन गेमिंग किशोर और युवाओं को तेजी से अपनी चपेट में ले रही है जो कई तरह के हादसों का कारण भी बनी है। इस तरह के कई मामले सामने आए हैं जहां गेम खेलने में तल्लीन किशोर पास आ रहे खतरे को नहीं भांप पाते हैं तथा दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। बहुत से ऐसे केस भी हैं जहां बच्चे गेम में अपग्रेड होने के लिए अपने घर से ही पैसे चुरा लेते हैं। WHO यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी माना है कि ऑनलाइन गेम मेंटल हेल्थ के लिए खतरा है। डब्ल्यूएचओ ने इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज़ के मैन्युअल में गेमिंग की लत को लेकर सचेत भी किया है और कहा है कि गेमिंग कोकीन और जुआ के समान लगने वाली लत हो सकती है।
गेमिंग इंडस्ट्री हिट होने के मुख्य कारण
Smartphone Capabilities
स्मार्टफोन ब्रांड्स अच्छे से समझ चुके हैं कि जितना हैवी गेम होगा उसे खेलने के लिए उतना ही ताकतवर मोबाइल फोन भी चाहिए। गेमिंग के शौकिन यूजर्स की इस जरूरत को पूरा करने के मकसद से ये कंपनियां बेहतर ग्राफिक्स व पावरफुल प्रोसेसर वाले स्मार्टफोन लॉन्च कर रही हैं। मोबाइल गेमिंग के लिए ‘गेम बूस्ट’ और ‘कूलिंग टेक्नोलॉजी’ जैसे फीचर्स लाए जा रहे हैं। ये मोबाइल कंपनियां अपने फोंस के प्रोसेसर को स्ट्रांग दिखाने के लिए भी इन गेम्स का सहारा लेती और विज्ञापन में बताती है कि उनके स्मार्टफोन इन गेम्स को बेहतरीन तरीके से खेलने का मौका देते हैं। स्मार्टफोंस की बेहतर प्रोसेसिंग के चलते अधिक लोग ऑनलाईन गेमिंग अपना रहे हैं। यही प्वाइंट्स लैपटॉप और कम्प्यूटर पर भी लागू होते हैं।
Internet Access
पहले किसी भी मोबाइल यूजर को इतना ही इंटरनेट मिलता था, जितनें में कुछ सोशल मीडिया साइट्स, मैसेंजिंग ऐप्स और हल्की-फुल्की ब्राउजिंग ही हो पाती थी। लेकिन अब Realiance Jio, Airtel और Vodafone Idea जैसी कंपनियां ढ़ेर सारा इंटरनेट डाटा देती है और मोबाइल यूजर इस डाटा का इस्तेमाल लंबे समय तक ऑनलाईन गेम खेलने में भी करते हैं। इंटरनेट की सीमा बढ़ना भी देश में ऑनलाइन गेम के बाजार के लिए बड़ा फायदेमंद साबित हुआ है। यह भी पढ़ें : ऐसे चेक करें अपने एरिया में लगे Mobile Tower की रेडिएशन, फोन पर ही जान जाएंगे कितना खतरनाक या कितना सेफ!
influencers लग रहे कूल
यहां हम किसी एक का नाम तो नहीं लिख सकते, लेकिन आप अच्छे से जानते हैं कि आज के वक्त में कुछ ‘गेमर’ इतने पॉपुलर हो चुके हैं जो किसी फिल्म स्टार व सेलिब्रेटी से कम नहीं। गेमिंग का जौहर और गाली का मेल आम जनता को इतना पसंद हो रहा है कि इन लोगों की फैन फॉलोइंग तेजी से बढ़ रही है। ऐसे ‘इन्फ्लूअन्सर’ से प्रभावित होकर भी लोग मोबाइल गेमिंग की ओर अटरेक्ट हो रहे हैं। बहुत से मोबाइल ब्रांड्स भी गेम्स के टूर्नामेंट्स आयोजित कर रहे हैं जहां विजेताओं को भारी ईनाम मिलता है। हालांकि यह सब सिर्फ स्मार्टफोन के प्रोमोशन का ही तरीका होता है लेकिन भोले भाले बच्चें इनके झांसे में फंसकर गेमिंग को ‘कूल’ मानने लगे हैं तथा लत का शिकार हो रहे हैं।
Lockdown का टाईम पास
कोरोनाकाल भी ऑनलाईन गेमिंग इंडस्ट्री के लिए बड़ा फायदेमंद साबित हुआ है। कोविड की वजह से देश में लंबे समय तक स्कूल व कॉलेज बंद हो गए और स्टूडेंड्स ने स्मार्टफोन को अपना नया और पक्का साथी बना डाला। घर में बैठे ऐसे किशोर व युवाओं ने गेमिंग को अपना टाईम-पास का साधन बनाया जो अब टाईम-वेस्ट का बड़ा कारण बन चुका है। वक्त गुजारने के लिए चुनी गई ऑनलाईन गेमिंग अब अनेंको की आदत बन चुकी है जो लत में तब्दिल होती जा रही है। यह भी सच है कि कोराना और लॉकडाउन में अर्थव्यवस्था पूरी तरह हिल गई थी, लेकिन ऑनलाईन गेमिंग इंडस्ट्री के लिए यह वक्त मुनाफे वाला साबित हुआ।