5G in India बेहद जल्द सपनों से बाहर निकलकर हकिकत बनने वाला है। Jio, Airtel और Vi जैसी देश की टेलीकॉम कंपनियां और Google, Amazon, Nokia, Ericsson, Cisco और TCS जैसी दिग्गज टेक कंपनियों ने 5जी के जाल को देश में तेजी से बिछाना शुरू कर दिया है और अब बस इंतजार है तो 5g spectrum auction का। जैसे ही इन स्पेक्ट्रम की नीलामी का काम पूरा हो जाएगा, उसके कुछ ही हफ्तों बाद इंडिया में 5G Network ऑफिशियली रोल आउट कर दिया जाएगा। सिर्फ सुपर फास्ट 5G Internet ही नहीं बल्कि IoT व कई अन्य काम भी बेहद सरल व सुगम बन जाएंगे।
मोबाइल यूजर्स के लिए 5जी पाना पहले ही आसान बनाया जा चुका है। Realme, Xiaomi, Samsung और OPPO, VIVO समेत आज भारतीय बाजार में मौजूद लगभग सभी मोबाइल ब्रांड अपना 5G Smartphone लॉन्च कर चुके हैं। आम आदमी तक इन 5जी फोंस की पहुंच आसान बनाने के लिए 12 हजार तक के बजट में सस्ते 5जी मोबाइल लॉन्च हो चुके हैं और अब इनमें 5जी नेटवर्क चालू किए जाने की प्रतीक्षा हो रही है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है 5G तक पहुंचने के लिए मोबाइल और नेटवर्क तकनीक किन पड़ावों से होकर गुज़री है? 1G से लेकर 5G तक के इस रोचक सफर को आज हमने बेहद ही सरल और आसान शब्दों में अपने पाठकों के सामने रखने की कोशिश की है। आगे प्वाइंट्स में आप समझ पाएंगे कि 1G, 2G, 3G और 4G से लेकर 5G तक Mobile and wireless communication में क्या-क्या बदलाव आए हैं।
इस लेख में:
Mobile Wireless Technology
1G
मोबाइल फोंस की शुरूआती स्टेज थी 1G, जो 1980 के दौरान सामने आई थी। उस वक्त हालांकि लोगों ने खुद नहीं सोचा होगा कि जिस तकनीक का वह ईजाद कर रहे हैं उसे भविष्य में 1G के नाम से जाना जाएगा। आपको याद भी होगा या फिर फिल्मों में ही देखा होगा उन दिनों लंबे एंटिना वाले मोबाइल फोन चला करते थे। उन्हें ही फर्स्ट जेनरेशन मोबाइल फोन कहा जाता है। 1G मोबाइल फोंस की टेलीक्म्यूनिकेशन स्पीड 24kb/s यानी 24 किलोबाइट प्रति सेकेंड होती थी।
स्पीड हालांकि उस वक्त बहुत ज्यादा मायने नहीं रखती थी, क्योंकि तब लोगों की जरूरतें भी ऐसी नहीं थी। लेकिन कम स्पीड के अलावा इस जनरेशन की सबसे बड़ी खामी यह थी कि उस फोन से कोई भी मैसेज नहीं किया जा सकता था। इस टेक्नोलॉजी में डिजिटल नहीं बल्कि सिर्फ एनालॉग काम ही मुमकिन था। फोन में सिर्फ एनालॉग सिग्नल का ही आदान-प्रदान होता था और इसी से वॉयस कॉलिंग होती थी। इस फोन में SMS नहीं होते थे। यह भी पढ़ें : ये हैं 500 रुपये से भी कम कीमत वाले कीपैड मोबाइल फोन
2G
फर्स्ट जेनरेशन में बाकी रह गई कसर को पूरा करने के लिए लाया गया था 2G, जिसने 1990 के दशक में एंट्री ली थी। इस तकनीक के साथ स्पीड भी बढ़ाई गई जो 64kb/s यानी 64 किलोबाइट प्रति सेकेंड के करीब पहुंच गई थी। हालांकि इस स्पीड को भी बहुत ज्यादा नहीं कहा जाएगा, लेकिन इस जेनरेशन में जो सबसे बड़ी चीज जुड़ी, वह थी मैसेज। 2जी के साथ मोबाइल फोंस में वॉयस कॉलिंग के साथ-साथ मैसेज का चलन भी शुरू हो गया था।
SMS की शुरूआत 2G के दौरान ही हुई थी। यही वो दौर था, जब एक मैसेज करने का 3 रुपये तक का चार्ज लगता था और उसमें भी टेक्स्ट लिमिट यानी शब्दों की सीमा होती थी। खैर 2G का ही दौर था जिसने मोबाइल फोन को कॉम्पेट बनाया और आदमी फोन को अपनी जेब में रखकर चलने लगा था। इस समय फोन में फोटोज़ का आदान-प्रदान शुरू हो गया था, लेकिन ट्रांसफर की स्पीड और मीडिया क्वॉलिटी काफी लो थी। यह भी पढ़ें : 15,000 रुपये से कम कीमत वाले 5 सबसे सस्ते 5G Phone
3G
मोबाइल की थर्ड जेनरेशन ने नेटवर्क की स्पीड को किलोबाइट से उठाकर मेगाबाइट में पहुंचाया था। साल 2003-2004 के दौरान 3G की एंट्री पूरी तरह से हो गई थी और इसी के साथ मल्टीमीडिया मोबाइल फोंस का आगाज हुआ था। यानी इस जेनरेशन ने वॉयस कॉलिंग और एसएमएस को आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया। 3G जब आया तो मोबाइल फोंस में 2mb/s तक की स्पीड मिलने लगी थी।
3G में फोन पर बात करने और मैसेज करने के साथ-साथ इंटरनेट का इस्तेमाल भी किया जाने लगा था। यही दौर था जब Facebook जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और YouTube जैसे वीडियो स्ट्रीमिंग ऐप्स ने बाजार में छाना शुरू किया था। लेकिन इंटरनेट स्पीड कम होने के चलते यूट्यूब जैसी सर्विसेज़ को बफरिंग का सामना करना पड़ा था और इसके लिए HHPA+ और HHSPA Turbo जैसे वर्ज़न भी पेश किए गए थे, जिसके बाद स्पीड 42एमबीपीएस तक पहुंच गई थी। यह भी पढ़ें : Virtual RAM किसे कहते हैं और मोबाइल फोंस में इसका क्या है काम? इस कमाल की तकनीक के बारे में जानें यहां
4G
3जी की तेजी को और भी तेज करने के लिए 2009 तक 4G ने बाजार में पैर पसारने शुरू कर दिए थे। इस दौर में मोबाइल फोन ने कम्प्यूटर की बराबरी कर ली है और फोन स्मार्टफोन बन चुके है। यहां जेनरेशन में एवोलूशन जोड़ा गया और 4G LTE तथा 4G VoLTE यूजर्स को मिलना शुरू हुआ। वॉयल कॉल, एसएमएस और इंटरनेट ब्राउजिंग के बाद यह वक्त था जब मोबाइल फोंस में वीडियो कॉलिंग की शुरूआत हुई।
शुरूआत में कॉलिंग जहां एनालॉग सिग्नल्स पर होती थी वहीं 4G इंटरनेट बैंड पर भी वॉयस कॉल की जाने लगी थी। 4जी नेटवर्क पर इंटरनेट स्पीड बढ़कर 100mb/s यानी 100एमबीपीएस हो गई है। 4G को मोबाइल टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा विकास कहा जा सकता है क्योंकि इसने भविष्य की कई राह खोली है। मोबाइल फोन की मल्टी डिवाईस कनेक्टिविटी भी 4जी ईरा में मुमकिन हुई है। आज आप और हम जिस मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं वह 4G ही है। इस वक्त 4G की अधिकतम स्पीड 600mbps है। यह भी पढ़ें : Mobile Internet क्यों है इंडिया में इतना स्लो, क्या आप भी हैं धीमे इंटरनेट से परेशान?
5G
दुनिया में 5जी की शुरूआत हो चुकी है और इंडिया में भी ट्रॉयल्स शुरू होने वाले हैं। भारत में 5G फोंस तो उपलब्ध हो ही चुके हैं वहीं अगले साल तक 5G नेटवर्क भी मिलना शुरू हो जाएगा। 5G में इंटरनेट स्पीड मेगाबाइट से उठकर गीगाबाइट में पहुंचने जा रही है और इसमें 1gbps यानी 4जी से भी 100 गुना अधिक इंटरनेट स्पीड प्राप्त होगी।
5जी टेक्नोलॉजी सिर्फ मोबाइल फोन तक ही सीमित नहीं रहेगी बल्कि बल्ब, पंखें, फ्रिज और कार भी 5जी के साथ कनेक्ट रहेंगे। 5G में IOT पर अहम काम होगा और इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि सभी अप्लायंस व डिवाईस आपस में एक दूसरे से जुड़ें रहेंगे। किसी दूसरे शहर से भी यदि आप फोन में कोई कमांड देंगे तो आपके घर में रखा वह आईटम काम करेगा। यानि दिल्ली बैठकर फोन में बल्ब ऑन करेंगे तो यूपी के घर में लगा बल्ब जल उठेगा। 5जी के जरिये अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान, फैक्ट्रियां, मॉल, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और होटल जैसी जगहों पर सभी सिस्टम एक दूसरे से कनेक्ट रह सकेंगे।